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लखनऊ/देवरिया उत्तर प्रदेश. रेलवे ओवरब्रिज के नीचे कैसे बन गई मजार.?खंगाले जा रहे अभिलेख. डीएम _एसपी को जांच का निर्देश।

 रेलवे ओवरब्रिज के नीचे कैसे बन गई मजार? खंगाले जा रहे अभिलेख, डीएम‑एसपी को जांच के निर्देश

रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
लखनऊ/देवरिया उत्तर प्रदेश

घटनाक्रम विस्तार से

1. शिकायत और प्रारंभिक जांच

सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने 25 जून 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पत्र देकर शिकायत की कि गोरखपुर रोड स्थित रेलवे ओवरब्रिज के ठीक नीचे एक मजार का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है — जबकि वह बंजर जमीन, नाले और राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप है
.

इस शिकायत पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने डीएम और एसपी को मामले की गंभीरता से जांच करने, राजस्व अभिलेखों की समीक्षा करने, और यदि यह मजार अवैध निकली तो तत्काल उसे हटाने के निर्देश दिए गए
.

2. संदिग्ध इतिहास और पूर्व विरोध

विधायक ने यह भी उल्लेख किया कि 28 साल पहले, वरिष्ठ RSS प्रचारक रामनगीना यादव ने इसी मजार की वैधता पर सवाल उठाए थे और उस समय उन्हें मजार के विरोध की वजह से ही हत्या कर दी गई थी
.

वर्तमान में मजार पर हो रही गतिविधियाँ संदिग्ध मानी जा रही हैं, और वहां अब बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होने लगे हैं
.

3. धमकी और सुरक्षा की चिंताएं

इस पूरे विवाद के बीच विधायक डॉ. त्रिपाठी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी भी मिली — जो कि सोशल मीडिया और ईमेल के माध्यम से की गई थी
.

धमकी देने वाला व्यक्ति “एमडी सेराज” नामक स्रोत से ईमेल भेजा गया था, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि “मजार को छूने की कोशिश कीजिए, परिणाम भुगतेंगे”
.

इस पर पुलिस और साइबर सेल ने जांच तेज कर दी है, हालांकि फिलहाल मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है क्योंकि उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार है
.

4. राजस्व अभिलेखों की समीक्षा और कानूनी कार्रवाई

तहसील और राजस्व विभाग जांच कर रहे हैं; प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चला है कि जमीन पहले खतौनी में बंजर दर्ज थी, लेकिन बाद में 1993 में मजार और कब्रिस्तान के रूप में दर्ज कर दिया गया — यह बदलाव संदिग्ध है और कानूनी रूप से चुनौती के योग्य माना जा रहा है
.

अब मामले में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से राजस्व संहिता की धारा 32/38 के तहत वाद दाखिल किया जा रहा है, और एसडीएम द्वारा दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया गया है
.

 

 

सारांश तालिका

विषय विवरण

शिकायत की तारीख 25 जून 2025
मुआमला मजार का अतिक्रमण, सरकारी/बंजर जमीन पर निर्माण
इतिहासिक संदर्भ 28 साल पहले रामनगीना यादव के विरोध पर हुई हत्या
प्रशासनिक कार्रवाई डीएम और एसपी को जांच; राजस्व अभिलेख खंगालने के आदेश
धमकी की घटना विधायक और मुख्यमंत्री को जान से मारने की ईमेल धमकी
साइबर-जांच साइबर सेल सक्रिय, उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार
कानूनी पहल राजस्व संशोधन व नोटिस जारी; 32/38 धारा के तहत वाद दाखिल हो सकता रेलवे ओवरब्रिज के नीचे कैसे बन गई मजार? खंगाले जा रहे अभिलेख, डीएम‑एसपी को जांच के निर्देश

विधिक आवाज समाचार

रिपोर्ट राजेश कुमार यादव
लखनऊ/देवरिया उत्तर प्रदेश

घटनाक्रम विस्तार से

1. शिकायत और प्रारंभिक जांच

सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने 25 जून 2025 को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात कर पत्र देकर शिकायत की कि गोरखपुर रोड स्थित रेलवे ओवरब्रिज के ठीक नीचे एक मजार का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है — जबकि वह बंजर जमीन, नाले और राष्ट्रीय राजमार्ग के समीप है
.

इस शिकायत पर मुख्यमंत्री के निर्देश पर प्रमुख सचिव संजय प्रसाद ने डीएम और एसपी को मामले की गंभीरता से जांच करने, राजस्व अभिलेखों की समीक्षा करने, और यदि यह मजार अवैध निकली तो तत्काल उसे हटाने के निर्देश दिए गए
.

2. संदिग्ध इतिहास और पूर्व विरोध

विधायक ने यह भी उल्लेख किया कि 28 साल पहले, वरिष्ठ RSS प्रचारक रामनगीना यादव ने इसी मजार की वैधता पर सवाल उठाए थे और उस समय उन्हें मजार के विरोध की वजह से ही हत्या कर दी गई थी
.

वर्तमान में मजार पर हो रही गतिविधियाँ संदिग्ध मानी जा रही हैं, और वहां अब बड़ी संख्या में लोग इकट्ठा होने लगे हैं
.

3. धमकी और सुरक्षा की चिंताएं

इस पूरे विवाद के बीच विधायक डॉ. त्रिपाठी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को जान से मारने की धमकी भी मिली — जो कि सोशल मीडिया और ईमेल के माध्यम से की गई थी
.

धमकी देने वाला व्यक्ति “एमडी सेराज” नामक स्रोत से ईमेल भेजा गया था, जिसमें चेतावनी दी गई थी कि “मजार को छूने की कोशिश कीजिए, परिणाम भुगतेंगे”
.

इस पर पुलिस और साइबर सेल ने जांच तेज कर दी है, हालांकि फिलहाल मुकदमा दर्ज नहीं किया गया है क्योंकि उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार है
.

4. राजस्व अभिलेखों की समीक्षा और कानूनी कार्रवाई

तहसील और राजस्व विभाग जांच कर रहे हैं; प्रारंभिक रिपोर्ट से पता चला है कि जमीन पहले खतौनी में बंजर दर्ज थी, लेकिन बाद में 1993 में मजार और कब्रिस्तान के रूप में दर्ज कर दिया गया — यह बदलाव संदिग्ध है और कानूनी रूप से चुनौती के योग्य माना जा रहा है
.

अब मामले में अपर जिला शासकीय अधिवक्ता की ओर से राजस्व संहिता की धारा 32/38 के तहत वाद दाखिल किया जा रहा है, और एसडीएम द्वारा दोनों पक्षों को नोटिस भेजकर अभिलेख प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया गया है
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सारांश तालिका

विषय विवरण

शिकायत की तारीख 25 जून 2025
मुआमला मजार का अतिक्रमण, सरकारी/बंजर जमीन पर निर्माण
इतिहासिक संदर्भ 28 साल पहले रामनगीना यादव के विरोध पर हुई हत्या
प्रशासनिक कार्रवाई डीएम और एसपी को जांच; राजस्व अभिलेख खंगालने के आदेश
धमकी की घटना विधायक और मुख्यमंत्री को जान से मारने की ईमेल धमकी
साइबर-जांच साइबर सेल सक्रिय, उच्चाधिकारियों के आदेश का इंतजार
कानूनी पहल राजस्व संशोधन व नोटिस जारी; 32/38 धारा के तहत वाद दाखिल हो सकता है।

 

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